khanpaan ki nayi sanskriti mein rashtriya ekta ke beej milte hain. Kaise? plz its urgent..answer fast experts plz..

खानपान की मिश्रित संस्कृति से तात्पर्य है की आज भारतीय रसोई में अपने गाँव/संस्कृति के नहीं अपितु पूरे भारत के खानपान की खुशबू आती है। वह आज एक स्थान, जाति व देश न बनकर पूरे भारत का परिचय कराती है। आप एक दक्षिण भारतीय परिवार के घर में सांभर, डोसा के साथ पिजा, छोले, राजमा, दाल, चाईनीज पता नहीं कितने ही तरह के व्यजंन बनते हुए देखे जा सकते हैं। वैसे ही एक उत्तर भारतीय परिवार में डोसा, पिजा इत्यादि व्यंजन बनते हुऐ देख सकते हो। खानपान की यही संस्कृति मिश्रित संस्कृति कहलाती है। यह अनेकता में एकता का बोध कराती है। यहीं से एकता के बीज पनपते दिखाई देते हैं। समय की मांग ने खानपान की तसवीर बदलकर रख दी।

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