kis tark se ajkal ke sampadako ko anpad kaha ja saktha hai

मित्र हम आपको उत्तर लिखकर  दे रहे हैं।

प्राचीन काल में प्राकृत भाषा सामान्य रूप से बोलचाल की भाषा थी। संस्कृत का प्रयोग कुछ चुनिंदा विद्वान लोग ही करते थे। कुछ पुरातन पंथी लोगों के अनुसार जिन पंडितों ने प्राकृत भाषा में ग्रंथों की रचना की है , वे अनपढ़ व गँवार हैं। इन लोगों के विचार से सिर्फ संस्कृत भाषा जानने व समझने वाले लोग ही शिक्षित व श्रेष्ठ थे। परंतु लेखक ऐसे लोगों पर व्यंंग्य करता है। ये कहते हैं कि उस समय की प्रचलित भाषा प्राकृत का प्रयोग बोलने व साहित्य रचना करने वाले लोगों को अनपढ़ समझना भूल है। आज के समय में भी सारे प्रसिद्ध अखबार प्रचलित भाषा में ही छापे जाते हैं। इससे हम उन अखबारों के संपादकों को अनपढ़ व गँवार नहीं कह सकते। 

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