Kya koi mujhe Dev chapter ka bhavarth bata sakta hai??

मित्र देव ने अपने सवैये में कृष्ण का गुणगान किया है। पहले सवैये में उन्होंने कृष्ण के साैंदर्य तथा उनकी वेशभूषा का मनोहारी वर्णन किया है। कृष्ण की सुंदरता देखते ही बनती है। उनके प्रभु ब्रज के दूल्हे के समान हैं अर्थात वे पूरे ब्रज का आकर्षण हैं। दूसरे कवित्त में उन्होंने वसंत ऋतु का आकर्षक वर्णन किया है। वसंत की तुलना बालक से करते हुए प्रकृति के विभिन्न उपादानों को उसकी देखभाल करते हुए दिखाया गया है। मानवीकरण अलंकार के द्वारा प्रकृति को मानवीय क्रियाकलाप करते हुए दिखाया गया है। इस ऋतु में चारों आेर जो साैंदर्य बिखर जाता है उसकी सुंदरता की तुलना कामदेव के साैंदर्य से की गई है। तीसरे कवित्त में चाँदनी रात का अद्वितीय वर्णन किया गया है। चारों तरफ फैली सफेद छटा को अमृत के मंदिर के समान पवित्र माना गया है। यहाँ कवि देव ने चाँद को राधा का प्रतिबिंब कहा है, अर्थात राधा के साैंदर्य को पावनता का सूचक माना है। चाँदनी रात में चारों तरफ सफेद चाँदनी बिखरी रहती है, जो पवित्रता का प्रतीक है।

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