LEKHAK KA IS PATH LIKNA KA KYA TATPARYA HAI



​WHAT EDUCATION WE GET WITH THIS LESSON

मित्र 'दुख का अधिकार' पाठ के माध्यम से लेखक यशपाल जी ने समाज में उपस्थित अंधविश्वासों पर प्रहार किया है। लोगों की गरीबों के प्रति मानसिकता को भी उन्होंने इस कहानी के माध्यम से दर्शाया है।  लेखक समाज को यही संदेश देना चाहते हैं कि गरीबों की मजबूरी को कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए। यह सत्य है कि दुख समान रूप से सबके जीवन में आता है। सभी अपनों के जाने का दुख मनाना चाहते हैं पर अपनी आर्थिक स्थिति के कारण मना नहीं पाते। भारत जैसे देश में बहुत से लोग हैं, जिन्हें यह समाज दुख मनाने का अधिकार भी नहीं देता है। यह हमारे लिए विडंबना की बात है।

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