lekhak ke pita ko pyar se bholnath kyon bulate he ?

लेखक के माथे पर पिताजी त्रिपुंड बना देते थे। लेखक माथे पर त्रिपुंड बनाने के पश्चात शिवजी के समान लगते थे। अतः पिताजी उन्हें भोलानाथ कहकर बुलाते थे।

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