Lekhak ne humare samaj ko upbhoktavadi samaj kyu kaha hai aur unhone apna vaktavya kaise spasth kiya hai?
मित्र!
आपका उत्तर इस प्रकार है-
लेखक ने हमारे समाज को उपभोक्तावादी कहा है क्योंकि हम लोग समाज में तो रहते हैं, पर हम लोगसामाजिक कम होते जा रहा हैं। इसके स्थान पर अपने आप में ज्यादा केन्द्रित होते जा रहा हैं। विलासिता की जिन्दगी जी रहे हैं। विलासिता का भोग करना ही उपभोक्तावाद है। हमारी जिन्दगी जीने के तरीके को उपभोक्तावादी संस्कृति धीरे-धीरे बदल रही है। मनुष्य अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण खोता जा रहा है। उपभोक्तावादी संस्कृति से हमारी सामाजिक मान्यताएं बदल रही हैं।
आपका उत्तर इस प्रकार है-
लेखक ने हमारे समाज को उपभोक्तावादी कहा है क्योंकि हम लोग समाज में तो रहते हैं, पर हम लोगसामाजिक कम होते जा रहा हैं। इसके स्थान पर अपने आप में ज्यादा केन्द्रित होते जा रहा हैं। विलासिता की जिन्दगी जी रहे हैं। विलासिता का भोग करना ही उपभोक्तावाद है। हमारी जिन्दगी जीने के तरीके को उपभोक्तावादी संस्कृति धीरे-धीरे बदल रही है। मनुष्य अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण खोता जा रहा है। उपभोक्तावादी संस्कृति से हमारी सामाजिक मान्यताएं बदल रही हैं।