Loakgeet par aanuched likho.
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लोकगीत नाम से ही यह अपनी पहचान सबको बता देता है। लोकगीत का अर्थ होता है लोगों के गीत।
भारत विभिन्न जातियों, धर्मों, परंपराओं का समूह है। लोकगीत अपनी ताज़गी, लोच व मस्ती के कारण गाँव में गाए जाते हैं। आपको त्योहारों, विवाह, नामकरण संस्कार, उत्सव आदि के लिए अलग-अलग गीत मिल जाएंगें। शहरों की तुलना में गाँवों व देहातों में यह अपनी छटा बिखरते हुए दिखाई देते हैं। बस अवसर होने की देर होती है और यह गाँवों व देहातों के खेतों, मौहल्लों, बागों, नदियों आदि स्थानों में आनंद के स्वर बिखेर देते हैं।
लोकगीत का शास्त्रीय संगीत से कोई संबंध नहीं है। यह उससे बिलकुल ही अलग रुप लिए हुए हैं। जहाँ शास्त्रीय संगीत के लिए मनुष्य अपने बाल्यकाल से ही गहन शिक्षा लेना आंरभ कर देता, वहीं लोक गीत तो बस साथ व ताल के होने से ही अपने-आप फूटने लगते हैं। शास्त्रीय संगीत जहाँ देश को संबोधित करते हैं, वहीं लोकगीत देश के हर छोटे-बड़े गाँव व देहातों को संबोधित करते हैं। इनका निर्माण गाँव की मिट्टी से हुआ है। वहाँ के लोगों के आनंद, प्रेम व जीवन का प्रतीक हैं, ये लोकगीत।
भारत के हर कोने-कोने में लोकगीत पाए जाते हैं। वह फिर उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, पूर्वी भारत हो या पश्चिमी भारत, इनका संबंध देश के हर कोने से है। लोकगीतों को अपनी पहचान बनाने में लंबा समय लगा। परन्तु आज यह अपने स्वरूप के साथ लोगों के दिलों में अपने लिए स्थान बना चुके हैं। विभिन्न बोलियों व भाषा में होने के कारण यह बड़े आनंददायक व आह्लादकर हैं। राजस्थानी व पंजाबी भाषा आदि के लोकगीत से तो आज शहरों में बच्चे भी परिचित हैं। इन लोकगीत की रचना के पीछे स्त्रियों का योगदान माना जाता है। वही अपने सुख, दुख व आनंद को दर्शाने के लिए लोकगीतों का सहारा लेती है।
इन लोकगीतों स्वरूप बहुत विशाल है। यह पूरे भारत की आत्मा है। इनके साथ ही आनंद, मस्ती व प्रेम का वातावरण जाग्रत हो जाता है। थके पाथिक के लिए यह घने सघन वृक्ष की छाया के समान है। हमारे लोकगीत हमारे जीवन व आनंद का प्रतीक हैं।
मैं आशा करती हूँ कि आपके प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
ढेरों शुभकामनाएँ !