Logo par lekhak n kya vyangya kits hai?

मित्र लेखक ने लोगों के दिखावटी जीवन पर व्यंग्य किया है। लोग दिखावे के चक्कर में स्वयं को ले डूबते हैं और जानकर उसके गुलाम बने रहते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में कोई नैतिक मूल्य नहीं होते। वे समाज की बनी हुई रूढ़िवादी परिपाटी पर चलते रहते हैं। 

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