Maa ke Karya Se Kabhi ko kya Abhas ho raha hai from yamraj ki disha
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
माँ की सीख से कवि को अहसास होता है कि माँ जो बोलती थी सही ही बोलती थी। उसकी माँ ने उसे सिखाया था कि यमराज की दिशा दक्षिण दिशा है और इस दिशा को कोई नहीं लाँघ सकता है। जब कवि बढ़ा होता है, तो वह यमराज की दिशा ढूँढने का प्रयास करता है लाख कोशिश करने पर भी वह उसका आखिरी छोर नहीं खोज पाता। उसे तब पता चलता है कि माँ सही कहती थी। माँ की बातों में कहीं-न-कहीं सत्यता थी।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
माँ की सीख से कवि को अहसास होता है कि माँ जो बोलती थी सही ही बोलती थी। उसकी माँ ने उसे सिखाया था कि यमराज की दिशा दक्षिण दिशा है और इस दिशा को कोई नहीं लाँघ सकता है। जब कवि बढ़ा होता है, तो वह यमराज की दिशा ढूँढने का प्रयास करता है लाख कोशिश करने पर भी वह उसका आखिरी छोर नहीं खोज पाता। उसे तब पता चलता है कि माँ सही कहती थी। माँ की बातों में कहीं-न-कहीं सत्यता थी।