"maati waali" ki sarthakta siddh kijiye!

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'माटी वाली' कहानी टिहरी शहर की कहानी है इस कहानी में कवि ने माटी वाली को माध्यम बनाकर एक समस्या को देश के सम्मुख रखा है। पुराने टिहरी शहर को बाँध के रास्ते में आने के कारण डूबो दिया गया था। यह उन लोगों की कहानी है जिन्हें अपने पुरखों की धरोहर को त्यागना पड़ा। यह पुर्नविस्थापन का वह दर्द है जिससे हर टिहरीवासियों ने सहा था। विद्यासागर नौटियाल जी ने इस दर्द को माटी वाली के द्वारा दर्शाया है। पूरे टिहरी में वह एकमात्र ऐसी स्त्री थी जो घर-घर में माटी पहुँचाती थी। उसकी जीविका का साधन ही माटी खाना था। उससे भी उसका जीवन बड़ी मुश्किल से चलता था परन्तु वह इसमें भी खुश थी। माटी वाली के पास कहने को कुछ नहीं था। उसका वृद्ध बीमार पति, उसकी टूटी हुई झुग्गी और वह स्थान जहाँ से वह माटी लाती थी, यह सब उसके जीवन की अमुल्य धरोहर थी। पति की बीमारी व बुढ़ापे के कारण उसका उससे साथ छूट गया और जो उसके जीवन का आधार था, वह माटीखाना टिहरी बाँध के कारण उससे छूट गया। उसके पास रोने के सिवाए अब कुछ नहीं बचा था। उसके दर्द को न बाटने वाला कोई था और समझने वाला कोई था। था तो दर्द जो कभी न खत्म होने वाला था। माटी वाली कहानी का नाम लेखक ने सही रखा है जो उसके नाम की सार्थकता को सिद्ध करता है।
आशा करती हूँ कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।
 
ढ़ेरों शुभकामनाएँ!

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