Mahatma Gandhi ke yogdan par 10 bindu likhie. Pls experts asnwer fast
नमस्कार मित्र!
हम आपको महात्मा गांधी के उपर अपने विचार देेे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
महात्मा गांधी की आरम्भिक शिक्षा भारत में हुई थी। परन्तु बैरिस्टरी की डिगरी इन्होंने इंग्लैण्ड से प्राप्त की थी। भारत आकर इन्होंने मुंबई को अपनी कर्मस्थली बनाया। परन्तु अपने सिद्धांतों के कारण वह इस कार्य को ज्यादा समय तक नहीं कर पाए। तंग आकर इन्होंने एक फर्म के साथ अनुबंद्ध करके दक्षिण अफ्रीका में नेटाल जाना स्वीकार किया। यह देश भी गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। वहाँ पर गांधी जी को अग्रेंजों द्वारा रंग-भेदभाव की नीति का शिकार बनना पड़ा। इसका गांधी जी पर गहरा असर पड़ा और उन्होंने सत्याग्रह की पहली चिंगारी सुलगाई। 1915 में गांधी जी अपने देश भारत लौट आए। उन्होंने देश आकर भेदभाव का विरोध करना आरंभ कर दिया।
हम आपको महात्मा गांधी के उपर अपने विचार देेे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
महात्मा गांधी की आरम्भिक शिक्षा भारत में हुई थी। परन्तु बैरिस्टरी की डिगरी इन्होंने इंग्लैण्ड से प्राप्त की थी। भारत आकर इन्होंने मुंबई को अपनी कर्मस्थली बनाया। परन्तु अपने सिद्धांतों के कारण वह इस कार्य को ज्यादा समय तक नहीं कर पाए। तंग आकर इन्होंने एक फर्म के साथ अनुबंद्ध करके दक्षिण अफ्रीका में नेटाल जाना स्वीकार किया। यह देश भी गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था। वहाँ पर गांधी जी को अग्रेंजों द्वारा रंग-भेदभाव की नीति का शिकार बनना पड़ा। इसका गांधी जी पर गहरा असर पड़ा और उन्होंने सत्याग्रह की पहली चिंगारी सुलगाई। 1915 में गांधी जी अपने देश भारत लौट आए। उन्होंने देश आकर भेदभाव का विरोध करना आरंभ कर दिया।
जरनल डायर के द्वारा जलियांवाला बाग हत्याकांड ने पूरे देश में सनसनी फैला दी। इसका गांधी जी पर भी गहरा आघात पहुँचा। फिर तो क्या था, उन्होंने इसके विरोध में 1920 में असहयोग आंदोलन छेड़ दिया। उनके पश्चात 1930 में नमक सत्याग्रह और अन्त में 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा पूरे देश में प्रसारित कर दिया। इसके लिए उन्हें तोड़ने की कोशिश भी की गई। उन्हें कई बार जेल भी भेजा गया। परन्तु उन्होंने अहिंसा का ऐसा मंत्र फूंका कि बिना खून बहाए अग्रेंज़ों को देश से बाहर खदेड़ दिया गया। उनके विरूद्ध षड्यंत्र किया और नथूराम गोड्से ने उन्हें गोली मार दी। 30 जनवरी, 1948 को वह इस संसार से सदा के लिए विदा हो गए।