'main aur mera desh' par ek anuched likhen hamari desh ke prati kartavyon ka varnan karte hue.

मित्र हम इस विषय पर आरंभ करके दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें-इ
देश मात्र सीमाओं से बंधे भूमिखण्ड का नाम नहीं होता। देश बनता है अपने लोगों से, सभ्यता से, संस्कृति से, वहाँ के जीव-जन्तुओं से, नदियों से पहाड़ों आदि से। जो अपने देश की हर वस्तु से प्रेम करता है, सही मायनों में वही सच्चा देशभक्त कहलाता है। एक देश में रहते हुए भी हम देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भुल जाते हैं। हमारी ज़िम्मेदारियाँ हमारे परिवार तक और घरों तक सिमट कर रह जाती है। हमारे देश के प्रति भी कुछ कर्तव्य हैं। देश की हर वस्तु का संरक्षण, देश की रक्षा के प्रति सचेत रहना, देश के लिए समय आने पर अपने प्राणों तक को न्योछावर करना हमारा कर्तव्य होता है। 

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