mam aap kya please mujhe geetageet chapter ke first paraki summary easy shabdo me de sakti hai kyonki jo meritnation pe diya hai pehle para ka study material wo mujhesamajhne me kathinai ho rahi hai.so aap please mujhe sirf pehlaara samjha dijiye apke apne shabdo me tatha saral shabdo me

मित्र पहले पहरे में कवि कहता है कि नदी विरह (दुख) के गीत गाती हुई तेज़ी से बह रही है।
वह अपने दुख को कम करने के लिए किनारे पर रखे गए गोबर के उपलों से कुछ कहती है।
वहीं दूसरी ओर नदी तट पर एक गुलाब का पौधा है, उस पर एक गुलाब का फूल  लगा हुआ है।
वह फूल सोच रहा है कि काश भगवान मुझे में बोलने की शक्ति देते,
तो मैं इस संसार को बताता कि मुझे पतझर से कितना डर लगता है।
मैं पतझर का सपना देखता हूँ और वह सपना मुझे डरा जाता है।

नदी के बहने से स्वर उत्पन्न होता है, उसे कवि ने नदी का गाना कहा है। कवि कहता है कि स्वर निकालती नदी ऐसी लगती है मानो गाना गा रही हो। कवि ने नदी से आने वाली आवाज़ को गीत कहा है।
गुलाब नदी के तट पर चुप खड़ा है। लेकिन उसकी चुप्पी में भी एक गीत छुपा है। कवि ने गुलाब के गीत को अगीत कहा है।
कवि कहता है मुझे दोनों ही सुंदर जान पड़ते हैं, अब आप सोचो कि नदी का गीत सुंदर है या गुलाब का अगीत।

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