manu keh pita eh taraf seh komal aur sanvadhanshil the aur ek taraf krodi aur ahemdawadi bhi teh sparsh kijeyeh
 

लेखिका के पिता ने जीवन में कई गरीब बच्चों को शिक्षित बनाया था। यह उनकी कोमल और संवेदनशीलता  का प्रतीक है। परन्तु जब उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई, तो उन्होंने लोगों के घृणित चेहरे देखे। इसने उन्हें क्रोधित और अहंवादी बनाया दिया। इसका उल्लेख लेखिका ने स्वयं किया है कि उनके पिता अपनी परेशानियाँ किसी को नहीं बताते थे तथा उनका क्रोध समय-समय पर माँ को डराता रहता था।

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