manushayako kischeezka bhaanhota hai jissewehkicharrka apmaan nahin karta ?

मित्र जिस अन्न से हमारा पेट भरता है, वह अन्न भी कीचड़ में ही उगता है। जब मनुष्य को इस बात का भान हो जाता है तो वह कीचड़ का अपमान नहीं करता। 

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