manushya ke Man Mein Hai Bhagwan ka Vaas hota hai Fir Bhi wahan se Pehchan nahi pata kis Karan Mein likhiye
मित्र
हमारे मित्र ने आपके प्रश्न का उत्तर दिया है। हम भी अपने विचार दे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
मनुष्य के मन में भगवान का वास होता है किंतु वह भगवान को पहचान नहीं पाता। वह मंदिर, मस्जिद, तीर्थस्थानों आदि में जाकर भगवान को ढूंढता है। पूजा-पाठ और तंत्र मंत्र जैसे आडंबर करता है। ईश्वर वहाँ नहीं होते हैं। ईश्वर तो उसकी आत्मा में हैं।
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मनुष्य के मन में भगवान का वास होता है किंतु वह भगवान को पहचान नहीं पाता। वह मंदिर, मस्जिद, तीर्थस्थानों आदि में जाकर भगवान को ढूंढता है। पूजा-पाठ और तंत्र मंत्र जैसे आडंबर करता है। ईश्वर वहाँ नहीं होते हैं। ईश्वर तो उसकी आत्मा में हैं।