Meaming of the lessomn vakh paragraph vize
मित्र!
आपके प्रश्न का पैरावार उत्तर देना यहाँ संभव नहीं है। हम इस पाठ का सार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
वाख कश्मीर में गाए जाने वाला एक गीत है। इसमें कवियित्री ने अपने जीवन को नाव के समान माना है तो कभी मिट्टी के कच्चे ढाँचा की तरह माना है। उन्होंने अपनी सांसों को धागा माना है, जो कभी भी टूट सकता है। भगवान से कामना करती हैं कि उनकी नाव को पार लगा दें। उन्होंने कहा है कि मनुष्य जीवन संतुलित होना चाहिए। भगवान प्रत्येक जगह है। मनुष्य सब बराबर हैं।
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वाख कश्मीर में गाए जाने वाला एक गीत है। इसमें कवियित्री ने अपने जीवन को नाव के समान माना है तो कभी मिट्टी के कच्चे ढाँचा की तरह माना है। उन्होंने अपनी सांसों को धागा माना है, जो कभी भी टूट सकता है। भगवान से कामना करती हैं कि उनकी नाव को पार लगा दें। उन्होंने कहा है कि मनुष्य जीवन संतुलित होना चाहिए। भगवान प्रत्येक जगह है। मनुष्य सब बराबर हैं।