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मित्र

लेखक के अनुसार, दोषों का पर्दाफ़ाश करना बुरी बात नहीं होती है। परन्तु, इसमें बुराई तब सम्मिलित हो जाती है जब हम किसी के आचरण के गलत पक्ष को उद्घाटित करके उसमें रस लेते है। लेखक के अनुसार यह ग़लत बात है। हमारा दूसरों के दोषोद्घाटन को अपना कर्त्तव्य मान लेना सही नहीं है। हम यह नहीं समझते कि बुराई समान रूप से हम सबमें विद्यमान है। यह भूलकर हम किसी की बुराई में रस लेना आरम्भ कर देते हैं और अपना मनोरंजन करने लग जाते हैं। परन्तु, हम उसके द्वारा की गई अच्छाई को तो उजागर ही नहीं करते। हम उसकी बुराईयों का उतना रस नहीं लेंगे अगर हम उसके व्यक्तित्व के अच्छे पहलुओं की तरफ़ देखें। उसके द्वारा किये गये अच्छे कार्यों को सराहें तों उसके लिए और समाज के लिए यह उतना ही लाभकारी  होगा। परन्तु, बुरा तब होता है जब हम उसकी बुराई में तो रस ले लेते हैं पर अच्छाई को भुला देते हैं।

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