mitra ki videsh yatra par mangal camna karte hooye patra
पता.............
दिनांक..........
प्रिय मित्र विनोद,
बहुत प्यार!
यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि तुम अपने माता-पिता के साथ विदेश जा रहे हो। तुम्हारा सपना था कि तुम विदेश भ्रमण करो परन्तु अब तो तुम वहाँ रहने ही जा रहे हो। भगवान मैं सदैव तुम्हारे मंगल की कामना करूँगा।
मित्र जहाँ मैं एक तरफ तुम्हारे लिए बहुत प्रसन्न हूँ, वहीं मैं दुखी भी हूँ। मेरा एक अच्छा मित्र मुझसे दूर हो जा रहा है। तुम्हारा सुख मेरे लिए बहुत महत्व रखता है परन्तु तुम्हारा साथ भी कम महत्वपूर्ण नहीं है। आशा करता हूँ कि तुम वहाँ मुझे याद करोगे और पत्र व्यवहार भी करते रहोगे। जिस दिन तुम जाओगे मैं अपने परिवार के साथ अवश्य आऊँगा।
तुम्हारा मित्र
गगन