Nibandh on
Kisi bhi prakar ke vyakti ko prem se nahi sudhara ja sakta...

मित्र

केवल प्रेम से ही व्यक्ति को नहीं सुधारा जा सकता है। किसी व्यक्ति को सुधारनेे के लिए प्रेम के साथ थोड़ा सख्त भी होना पड़ता है। व्यक्तियों को बुराई से भलाई की ओर ले जाने के लिए अथवा उन्हें सुधारने के लिए प्रेम, धैर्य और नम्रता की आवश्यकता पड़ती है। कई बार हम सुधार कर कुछ रास्ते तक लाते हैं किंतु पूरी तरह नहीं सुधार पाते। उस समय प्रेम के साथ थोड़ा सख्त होना आवश्यक होता है। हमें बुराई को बढ़ावा देना बंद कर देना चाहिए, तभी बुराई समाप्त होगी। हमें प्रेम में पड़कर अपनी प्रिय व्यक्ति की भूलों का समर्थन नहीं करना चाहिए, अपितु हमें उसकी गलतियों का उसे एहसास कराना चाहिए। तब चाहे वह एहसास प्रेम से कराएं अथवा सख्ती से करें। यह उस परिस्थिति पर निर्भर करता है।

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