nibandhon 'kamkajinaari ki kathinaiyan'.

मित्र हम आपको इस विषय पर कुछ पंक्तियाँ लिखकर दे रहे हैं। कृपया इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास कीजिए। इससे आपका लेखन कौशल बढ़ेगा। 

​स्त्री समाज का आधार होती है। एक समाज के निर्माण में स्त्री की मुख्य भूमिका होती है। हमारे ग्रंथों में स्त्री को संसार की जननी कहा गया है। उसे देवी की तरह पूजा जाता है व आदर दिया जाता है। उसे पुरूषों के समान ही जीवन का मजबूत आधार स्तंभ माना गया है। पहले स्त्री को अबला माना जाता था। परन्तु आज की नारी अबला नहीं। हर क्षेत्र में उसने अपनी सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। वह आज नौकरी करने लगी है। हर क्षेत्र में उसकी योग्यता को सराहा जाता है। परंतु जैसे-जैसे स्त्री सफलता के शिखर पर चढ़ती जा रही है, उसकी सहनशीलता तथा नम्रता जैसे गुण कम होते जा रहे हैं। जब पत्नी, पति के समान कमाने लगती है तो कहीं न कहीं दोनों के अहम् भी आपस में टकराने लगते हैं। जिससे घर में तनाव का वातावरण बन जाता है। कामकाजी नारी अपने बच्चों तथा घर को भी ज़्यादा समय नहीं दे पाती। जिससे बच्चों में चिड़चिड़ापन तथा कुंठा की भावना विकसित हो जाती है। घर में आए दिन झगड़े होने लगते हैं। कभी-कभी तो नौबत तलाक तक आ जाती है। नारी तथा पुरुष दोनों अपने अहम् के चलते सुलह करने को तैयार नहीं होते। 

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