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हमारी सभ्यता का एक बड़ा अंश हमें ऐसे संस्कृत आदमियों से ही मिला है । जिनकी चेतना पर स्थूल भौतिक कारणों का प्रभाव प्रधान रहा है । किंतु उसका कुछ हिस्सा हमें मनीषियों से भी मिला है जिन्होंने तथ्य विशेष को किसी भौतिक प्रेरणा के वशीभूत होकर नहीं, बल्कि उनके अपने अंदर की सहज संस्कृति के ही कारण प्राप्त किया है ।
मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
हमारी सभ्यता को बनाने का श्रेय भी ऐसे ही लोगों को जाता है। इन्होने किसी बाहरी कारण से नहीं अपितु अपने मन के अंदर की भावना से प्रेरित होकर इस तथ्य को एकत्रित किया है। नई-नई बातों की खोज करना ही इनकी आदत है। इनके अंदर के संस्कार ही इनको आगे बढ़ाते हैं।
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हमारी सभ्यता को बनाने का श्रेय भी ऐसे ही लोगों को जाता है। इन्होने किसी बाहरी कारण से नहीं अपितु अपने मन के अंदर की भावना से प्रेरित होकर इस तथ्य को एकत्रित किया है। नई-नई बातों की खोज करना ही इनकी आदत है। इनके अंदर के संस्कार ही इनको आगे बढ़ाते हैं।