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मित्र 

 बंधनों में बंधकर पक्षी  अपनी आजादी को देते हैं। आकाश में अपनी उड़ान खो देते हैं। आकाश में स्वतंत्रतापूर्वक उड़ने वाला पक्षी जब छोटे से पिंजरे में कैद हो जाता है, तो अपनी उड़ने की शक्ति  खो देता है जो उसके लिए  बहुत कष्ट प्राप्त होता है। पक्षी इस प्रयास में छटपटाता है और उसके पंख टूट जाते हैं। वह बिना किसी साथी के एक पिंजरे में कैदी भरा जीवन व्यतीत करता है। उसकी सज़ा बस इतनी होती है कि वह दिखने में या तो सुंदर है या फिर उसकी आवाज़ मीठी है। मनुष्यों को भी तब तक जेल में बंद नहीं किया जाता है, जब तक उसने कोई अपराध न किया हो। परंतु यह पक्षी तो अकारण ही बंदी बनाकर रख लिए जाते हैं।

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 बन्धनो से बन्ध्कर पक्शि पिजर्बन्द मेह्सॊस कर्ने लद्ते है। वे अपनि आजदि खो देते है। और  उद्ने कि शक्ति भि खो  हैI  
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