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प्रिय मित्र,

आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-

दशहरे का त्योहार हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह त्योहार अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय और अहंकार के विनाश का प्रतीक है। इसी कारण इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। अश्विन मास के शुक्लपक्ष की दशमी के दिन इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। अयोध्या के राजा राम ने इसी दिन लंकापति राक्षस राज रावण का वध किया था। हिन्दू राजा इस दिन को शुभ मानते हुए युद्ध के लिए इसी दिन कूच किया करते थे। यह तिथि युद्ध में जीत के लिए उत्तम मानी जाती है। मेरे उत्तर भारत में तो दशहरे का उत्साह देखते ही बनता है। दस दिन पहले ही रामलीला का मंचन आरंभ हो जाता है। इन दिनों रामकथा को नाटक रूप में दिखाया जाता है। दसवें दिन रावण, मेघनाद और कूंभकरण के पुतलों का दहन किया जाता है। इस अवसर पर विभिन्न स्थानों पर बड़े-बड़े मेलों का आयोजन भी किया जाता है। विद्यालयों में बच्चों के लिए दस दिन का अवकाश भी घोषित किया जाता है। बच्चे बड़े उत्साह के साथ रावण दहन देखने जाते हैं और मेलों में बहुत आनंद उठाते हैं। भारत के सभी स्थानों में इसे अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। कहीं यह दुर्गा विजय के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है, तो कहीं नवरात्रों के रूप में। बंगाल में दुर्गा पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है। यह त्योहार हर्ष और उल्लास का प्रतीक है। इस दिन मनुष्य को अपने अंदर व्याप्त पाप, लोभ, क्रोध, आलस्य, चोरी, अहंकार, काम, हिंसा, मोह आदि भावनाओं को समाप्त करने की प्रेरणा मिलती है। यह दिन हमें प्रेरणा देता है कि हमें अहंकार नहीं करना चाहिए क्योंकि अंहकार के मद में डूबा हुआ एक दिन अवश्य मुँह की खाता है। रावण बहुत बड़ा विद्वान और वीर व्यक्ति था परन्तु उसका अहंकार ही उसके विनाश का कारण बना। यह त्योहार जीवन को हर्ष और उल्लास से भर देता है।

आशा करते हैं कि आपको प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।

धन्यवाद।

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