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प्रिय छात्र आपका उत्तर इस प्रकार है। हामिद खाँ हिन्दू - मुसलमान के मध्य प्रेम, सद्भाव और भाई-चारा चाहता था। हिन्दू लोग अपने मन में मुसलमानों के लिए अत्याचारी होने का भाव न पालें। हिन्दू आएं  और मुसलमानों के होटल मे खाना  खाएं। मुसलमानों को अपवित्र और अत्याचारी न  समझें। वह चाहता है कि हिन्दु-मुस्लिम आपस में मिलजुल कर रहेें। 

धन्यवाद।

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लेखक ने जब हामिद खाँ को भारत में हिंदू-मुसलमानों के सौहार्द भरे संबंध के बारे में बताया तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। लेखक ने यह कह कि अगर हमारे यहाँ बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बेखटके मुसलमानी होटल में जाया करते हैं। लेखक ने उसे गर्व के साथ बताया, “हमारे यहाँ हिंदू—मुसलमान में कोई फ़र्क नहीं है। सब मिल—जुलकर रहते हैं! भारत में मुसलमानों ने जिस पहली मस्ज़िद का निर्माण किया था, वह हमारे ही राज्य के एक स्थान ‘कोडुंगल्लूर’ में है। हमारे यहाँ हिंदू—मुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं। इन सब बातों को सुनकर हामिद खाँ ने कहा ‘काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।
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Dear student लेखक ने जब हामिद खाँ को भारत में हिंदू-मुसलमानों के सौहार्द भरे संबंध के बारे में बताया तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। लेखक ने यह कह कि अगर हमारे यहाँ बढ़िया चाय पीनी हो, या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बेखटके मुसलमानी होटल में जाया करते हैं। लेखक ने उसे गर्व के साथ बताया, “हमारे यहाँ हिंदू—मुसलमान में कोई फ़र्क नहीं है। सब मिल—जुलकर रहते हैं! भारत में मुसलमानों ने जिस पहली मस्ज़िद का निर्माण किया था, वह हमारे ही राज्य के एक स्थान ‘कोडुंगल्लूर’ में है। हमारे यहाँ हिंदू—मुसलमानों के बीच दंगे नहीं के बराबर होते हैं। इन सब बातों को सुनकर हामिद खाँ ने कहा ‘काश मैं आपके मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता। Regard
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प्रिय मित्र!

आपका उत्तर इस प्रकार है:-

हामिद खाँ चाहता था कि हिन्दुओं और मुसलमानो में आपसी प्रेम, सद्भाव, विश्वास और भाईचारा हो। हिन्दू लोग मुसलमानों को अत्याचारी और अपवित्र न माने। उसे इस बात का दुःख था कि हिन्दू लोग मुसलमानों को अत्याचारियों की संतान मानते है और उनके होटलों में खाना नहीं खाते।

सादर।
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