please explain all the vakh


रस्सी कच्चे धागे की खींच रही मैं नाव
जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार,
पानी टपके कच्चे सकोरे, व्यर्थ प्रयास हो रहे मेरे,
जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।

खा खा कर कुछ पाएगा नहीं,
न खाकर बनेगा अहंकारी,
सम खा तभी होगा समभावी,
खुलेगी साँकल बन्द द्वार की।

आई सीधी राह से, गई न सीधी राह,
सुषुम सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह।
ज़ेब टटोली कौड़ी ना पाई
माँझी को दूँ क्या उतराई।

i dont study sanskrit
sorry
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sorry i dont undersand hindi
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ans of 1

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ans of no 2

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ans of no 3

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this is not sanskrit
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