Please help me with this, I am unable to write the nibandh, plss and Thank you 

उत्तर :-

 
पुस्तकालय का निर्माण दो शब्दों के योग से होता है पुस्तक+आलय अर्थात पुस्तकों का घर। पुस्तकों का मनुष्य के जीवन में बचपन से ही आगमन हो जाता है। अपनी आयु के अनुसार वह पुस्तकें पढ़ता है। जैसे-जैसे उसकी आयु बढ़ती जाती है, पुस्तकों का क्षेत्र बढ़ता जाता है। अब पुस्तकें उसके विषय या कक्षा तक सीमित नहीं रह जाती है। वह अपनी रुचि के अनुसार अन्य विषयों पर भी पुस्तकें पढ़ता है। पुस्तकों में बढ़ती रुचि उसका ध्यान पुस्तकालय की ओर आकर्षित करती है ।
पुस्तकालय की उपयोगिता हमारे जीवन में बहुत है। पुस्तकालय में हर विषय और देश से संबंधित पुस्तकें होती है। अत: मनुष्य की ज्ञान संबंधी पिपासा पुस्तकालय में ही शांत हो सकती है। पुस्तकालयों में पुस्तकें धार्मिक, राजनैतिक, सामाजिक, साहित्य, चिकित्सा संबंधी सभी पुस्तकों को संग्रहित किया जाता है इसलिए यह हर वर्ग की पुस्तकों संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करता और पहली पंसद भी होता है। सरकार द्वारा स्थान-स्थान पर पुस्तकालय बनाए गए हैं। ये पुस्तकालय सभी के लिए खुले हुए हैं। मामूली-सा शुल्क भरकर लोग इनका लाभ उठाया जा सकता है। जिन लोगों द्वारा मंहगी पुस्तकें नहीं खरीदी जा सकती है, वे इन पुस्तकालयों से पुस्तकें ले सकते हैं। पुस्तकालयों में पढ़ने की भी व्यवस्था होती है। यहाँ के शांत वातावरण में पुस्तकों का अध्ययन करना बड़ा ही अच्छा लगता है। एक स्थान पर विभिन्न तरह की पुस्तक सरलता से मिल जाती है। इस आधार पर यह कहना गलत नहीं होगा कि पुस्तकालय हमें अज्ञान के अंधकार से निकलकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाता है ।  
 
इस आधार पर आप अपना निबंध लिख सकते हैं ।

  • 1
Please give a answer atleast
 
  • 0
What are you looking for?