Please help me with this. Lesson is shaam ek kisaan

प्रिय विद्यार्थी ,

आपके प्रश्न का उत्तर है -

किसान देश का आधार स्तम्भ होते हैं। उन पर ही देश की आर्थिक व्यवस्था टिकी होती है। विश्व का समस्त आनन्द, ऐश्वर्य और वैभव उनके कारण ही हम भोग पाते हैं। एक देश के प्रत्येक व्यक्ति का जीवन किसानों पर निर्भर करता है। उनके द्वारा किया गया अथक परिश्रम अन्न के रूप में खेतों में बिखरा पड़ा रहता है। उसके कारण ही सबके घर में चूल्हे जलते हैं। यदि एक भी किसान अन्न उगाना छोड़ दे, तो हमारे भूखों मरने की नाैबत आ जाएगी। भारतीय किसान सेवा, त्याग व परिश्रम की सजीव मूर्ति हैं। उसकी सरलता, शारीरिक दुर्बलता , सादगी एवं गरीबी उसके सात्विक जीवन को प्रकट करती है। वह स्वयं न खाकर दूसरों को खिलाता है। वह स्वयं न पहनकर संसार की ज़रूरतों को पूरा करता है। इतना श्रम करने के बाद भी उसका जीवन अनेक प्रकार के अभावों से घिरा रहता है। देश की जनता को अन्न देने वाला किसान ही भूखा सोता है। खेतों की रखवाली में न वह गर्मी देखता है न सर्दी, बस खुले आसमान के नीचे ही सो जाता है। भारतीय किसान आज़ादी से पहले भी तकलीफ में जी रहा था और आज भी जी रहा है। उसका सीधापन व सरलता उसे सेठ, साहूकारों तथा ज़मीदारों के हाथों की कठपुतली बना देता है। सेठ , साहूकार व ज़मींदार मिलकर इनका खूब शोषण करते हैं। दूसरी तरफ मौसम की मार भी इनकी कमर तोड़ देती है। सूखा या अत्यधिक बारिश इनको साहूकारों, ज़मींदारों व सेठों के आगे अपने खेत व घर - बार बेचने को मजबूर कर देते हैं। उनकी स्थिति इतनी दयनीय हो जाती है कि वे आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते हैं। यदि फसल अच्छी भी हो जाए, तो उन्हें उनकी फसल का उचित दाम नहीं मिलता। बड़े किसान फिर भी इस स्थिति से बच जाते हैं पर जिनके पास खेती करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं हैं, वे पिछड़ जाते हैं। इनकी इस दशा के लिए हम काफी हद तक ज़िम्मेदार हैं। लगातार किसानों द्वारा आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं पर हमारे द्वारा इस दिशा में कम ही कदम उठाए जा रहे हैं। अशिक्षा भी इनकी उन्नति के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है। अशिक्षित किसानों का साहूकार नाजायज़ फायदा उठाते हैं। अशिक्षा के कारण वह सरकार द्वारा किसानों के लिए बनाए गए कानून व अधिकारों से अनजान रहते हैं। सरकार द्वारा दी गई सुविधाएँ उन्हें नहीं मिल पाती। उनका लाभ दूसरे लोग ले जाते हैं। ये अशिक्षा व अज्ञानता के कारण इन लोभियों के हाथ की कठपुतली बने फिरते हैं। इनको मूर्ख बनाकर इनकी फसलों के कम दाम दिए जाते हैं , जिससे ये निर्धन और निर्धन बन जाते हैं। यही अशिक्षा व निर्धनता इनके पिछड़ेपन का कारण है। आज़ादी के बाद सरकार के द्वारा किसानों के विकास व उन्नति के लिए अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। सरकार द्वारा किसानों को कर्ज देने के लिए सहकारी बैंक खोले गए हैं, जो उन्हें कम ब्याज दर पर पैसा उपलब्ध कराते हैं। उनकी फसलों के उचित दाम उनको प्राप्त हो इसके लिए भी सरकार ने अपनी भूमिका दिखाई है। इस तरह से किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम मिलेगा और वो निर्धनता से मुक्ति प्राप्त कर सकेंगे। सरकार द्वारा उठाए गए ये कदम प्रशंसा के योग्य हैं परन्तु अब भी उनकी दशा में कोई खास सुधार हुआ है, यह कह नहीं सकते। ऐसा करने से अन्य कोई भी उनका शोषण नहीं कर पाएगा। किसानों को उत्तम बीज सही दाम पर उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक गाँव व कस्बे में सहकारी दुकानें खोली जाएँ। खेती करने के लिए प्रर्याप्त साधन व उन्हें पर्याप्त मदद उपलब्ध कराई जाए। तभी उनकी हालत में सुधार संभव हो सकेगा। किसान देश का गौरव है, हमारा गौरव है। हमें उसकी इस सेवा के लिए उसे नमन करना चाहिए।

आभार ।

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