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मित्र

'बस की यात्रा' पाठ हास्य शैली में लिखा गया है। यह प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई द्वारा रचित है। इस कहानी के माध्यम से लेखक ने यातायात संबंधी दुर्व्यवस्थाओं पर व्यंग्य किया है। एक बार लेखक और उसके मित्र बस से यात्रा करते हैं। बस की बुरी अवस्था देखकर भी वे परिस्थिति वश उस बस में बैठने को विवश होते हैं। अपने गंतव्य स्थान तक उन्हें किस-किस प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, इसका बड़ा रोचक वर्णन किया गया है। लेखक समाज के समक्ष उन बस मालिकों की हँसी उड़ाता है, जो बेकार बस को अपने लाभ के लिए चलाते हैं। इन्हें यह सोचते हुए भी संकोच नहीं होता कि इनके कारण कई जीवन संकट में पड़ सकते हैं। अपने प्राणों को भी यह दाव में लगाने से हिचकिचाते नहीं है। इनके कारण ऐसी विकट स्थिति बन पड़ती है कि जीवन-मृत्यु के बीच किस और जाएँगे पता नहीं चलता। यह कहानी यातायात संबंधी कठिनाईयों को बड़े मज़ेदार ढ़ग से व्यक्त करती हुई पाठकों का मनोरंजन करती है।    

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