Please send the summary of Hindi poem. 'padh' and 'Dohe. Which is in sparsh textbk part 1 

'रैदास' भक्तिकाल के कवियों में से एक कवि माने जाते हैं। यह एक महान संत थे। इन्होंने कबीरदास जी की तरह मूर्तिपूजा, हवन, तीर्थ आदि आडंबरों का विरोध किया है। यह ब्रजभाषा के कवि थे। परन्तु इनकी भाषा में खड़ी बोली, राजस्थानी, उर्दू-फ़ारसी, अवधी आदि शब्दों का भी प्रयोग मिलता है। इस काव्यांश में रैदास जी के दो पद दिए गए हैं। पहले पद में रैदास जी अपने आराध्य देव का स्मरण करते हैं। वह विभिन्न उपमानों द्वारा उनसे अपनी तुलना करते हैं। वह स्वयं को प्रभु के साथ के बिना अधूरा मानते हैं। रैदास जी के अनुसार प्रभु उनके साथ ऐसे ही रचे-बसे हैं, जैसे दीये के संग बाती इत्यादि होते हैं। दूसरे पद में रैदास जी अपने आराध्य देव की कृपा, प्रेम और उदारता के लिए उनका धन्यवाद करते हैं। उनके अनुसार ये सब उनके भगवान के द्वारा ही किया जा सकता है। भगवान ने ही उनके जैसे व्यक्ति को राजाओं जैसा सुख दे दिया है। उनके अनुसार भगवान सबको समान रूप से देखते हैं। तभी तो उनके जैसे नीच कुल के व्यक्ति को उन्होंने अपने प्रेम से भर दिया है और अपने चरणों में स्थान दिया है।

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