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मित्र!
हम आपको इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं।-
1. पूर्णिमा की रात है। वन में चारों और पूर्णमासी की चांदनी बिखरी हुई है। ऐसा लग रहा है मानो वन पूर्णमासी रूपी चांदनी चादर में लिपटा पड़ा है।
2. क्रोध के मारे शरीर ऐसे काँप रहा था मानो हवा के चलने से शांत सागर जाग गया हो।
3. कवि बेनी कहते हैं कि राधा रानी की चोटी ऐसे लहरा रही है, उसे देखकर लगता है मानो साँप से चुराई हो।
4. हनुमान की पूँछ में आग लगाई ही गई थी, उन्होंने सारी लंका को जला दिया और सारे राक्षस भाग गए।
हम आपको इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं।-
1. पूर्णिमा की रात है। वन में चारों और पूर्णमासी की चांदनी बिखरी हुई है। ऐसा लग रहा है मानो वन पूर्णमासी रूपी चांदनी चादर में लिपटा पड़ा है।
2. क्रोध के मारे शरीर ऐसे काँप रहा था मानो हवा के चलने से शांत सागर जाग गया हो।
3. कवि बेनी कहते हैं कि राधा रानी की चोटी ऐसे लहरा रही है, उसे देखकर लगता है मानो साँप से चुराई हो।
4. हनुमान की पूँछ में आग लगाई ही गई थी, उन्होंने सारी लंका को जला दिया और सारे राक्षस भाग गए।