Pls and question no. 6th
प्रिय विद्यार्थी,
उस समय के तिब्बतीय समाज में जात-पात के नाम पर भेदभाव नहीं था। छुआछूत जैसी बुरी कुरीति भी नहीं थी। न ही औरतों को पर्दा करना पड़ता था। चोरी-चकारी का डर भी नहीं था। यहाँ के सीधे सादे लोग अजनबियों का भी स्वागत खुले दिल से करते थे। लेकिन डाकुओं द्वारा या अन्य लोगों द्वारा किसी की हत्या करना आम बात थी।
आभार।
उस समय के तिब्बतीय समाज में जात-पात के नाम पर भेदभाव नहीं था। छुआछूत जैसी बुरी कुरीति भी नहीं थी। न ही औरतों को पर्दा करना पड़ता था। चोरी-चकारी का डर भी नहीं था। यहाँ के सीधे सादे लोग अजनबियों का भी स्वागत खुले दिल से करते थे। लेकिन डाकुओं द्वारा या अन्य लोगों द्वारा किसी की हत्या करना आम बात थी।
आभार।