pls give answer.

मित्र 
1. कर्ता कारक (ने) :- नाम से ही पता चलता है कि यह कारक किसी व्यक्ति के द्वारा किए गए काम को दर्शाता है; जैसे- (1) राम ने खाना खाया।
 
2. कर्म कारक (को) :- नाम से ही पता चलता है कि इसका प्रयोग कहाँ होता है। यह किसी वाक्य में कर्म को दिखाता है 'शीला घर को जाती है। ' इस वाक्य में घर कर्म है, 'को ' कारक घर पर जाने को जोर दे रहा है।
 
3. करण कारक (से, द्वारा) :- इस कारक की मदद से हमें कार्य के समाप्त होने का पता चलता है; जैसे- सैफ ने बल्ले से जावेद को मारा। पहले वाक्य में 'बल्ले ' से मारने का कार्य हुआ है, अत: यहाँ 'बल्ले से ' करण कारक है।
 
4. सम्प्रदान कारक (के लिए, को) :- सम्प्रदान का अर्थ होता है 'देना ' अर्थात् कर्ता (व्यक्ति, करने वाला) जिसके लिए कुछ कार्य करता है अथवा जिसे कुछ देता है, उसे बताने के लिए सम्प्रदान कारक का सहारा लिया जाता है; जैसे- (i) माँ नेहा को रोटी दो।, (ii) मीना भाई के लिए किताब लेकर आई है।
5. अपादान कारक (से):- संज्ञा (व्यक्ति, प्राणी, स्थान या वस्तु) के जिस रुप में एक वस्तु दूसरी से अलग हो, वह अपादान कारक कहलाता है; जैसे- (i) मीना नाव से गिर पड़ी।
6. सम्बन्ध कारक (का, के, की, रा, रे, री) :- जिसे दो वस्तुओं के बीच का रिश्ता पता चलता है, वह सम्बन्ध कारक कहलाता है; जैसे- (1) यह रमेश की बहन है।
7. अधिकरण कारक (में, पर) :- जिस शब्द से हमें किसी क्रिया के स्थान, समय तथा आधार का पता चलता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं; जैसे- राहुल स्कूल में पढ़ता है।
8. संबोधन कारक (!) :- जिससे किसी को बुलाने अथवा सर्तक करने का भाव प्रकट हो, उसे संबोधन कारक कहते है; जैसे - सावधान! आगे खतरा है।

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