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प्रिय मित्र!


26 जनवरी 1931 को कलकत्ता में स्वतंत्रता दिवस बहुत ही ज़ोर-शोर से मनाने का फैसला किया गया था। सुभाष बाबू के जुलूस में बच्चे, जवान, स्त्रियाँ सभी लोग थे। सुभाष बाबू के जुलुस को चौरंगी पर ही रोक दिया गया। स्त्रियों ने इस जुलुस में बहुत योगदान दिया। इस संग्राम में स्त्रियों ने आगे बढ़-चढ़ कर पुरूषों के समान सभी कार्यों में हिस्सा लिया। झंडा फहराने में स्त्रियों ने पुलिस के डंडे भी खाए और जेल भी गईं। स्त्री समाज ने स्वतंत्रता दिवस को मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। बहुत सी स्त्रियों ने जूलूस के रूप में अपनी भागीदारी दी। स्त्रियाँ समूह बना कर जगह-जगह प्रचार करती रही और अंत में झंडा फहराया गया। इसलिए इस दिन को लेखक ने अमर दिन कहा।    

 

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