plz, can you give me an essay on karat-karat abhyas ke jadmati hoy sujan in hindi? It would be nice of you , if you do so . Plz send it before 15 of this month.

निरंतर अभ्यास करने वाला व्यक्ति स्वयं को शिक्षा के मंदिर पर सर्वोच्च पर स्थापित कर लेता है। शिक्षा सबके लिए समान रूप से है। किसी की बुद्धि प्रखर होती है और कुछ मूर्ख होते हैं। परन्तु यह मान लेना कि मूर्ख व्यक्ति सदैव मूर्ख बना रहता है, सत्य नहीं है। यदि मूर्ख व्यक्ति मन में ठान ले और बार-बार अभ्यास करता रहे तो वह स्वयं की कमी से पार पा जाता है। विद्या अभ्यास से आती है। फिर वह किसी भी प्रकार की क्यों न हो। आज के विद्यार्थी अभ्यास नहीं करते और रटते रहते हैं। रटना विद्या नहीं है, वह तो पढ़ाई से बचने का एक उपाय है। जो कि परीक्षा के समय में काम आता है। परन्तु जो लोग अभ्यास करते हैं, वह किसी भी उम्र में क्यों न हो उन्हें अपना अभ्यास किया हुआ कभी नहीं भूलता। वह अमिट अक्षरों के समान मस्तिष्क में याद रह जाता है। एक विद्वान अथक अभ्यास परिश्रम से विद्वान बनता है। उसके पास कोई संजीवनी नहीं है कि वह बिना पढ़े लिखे ही विद्वान घोषित कर दिया जाता है। इसके पीछे उसका परिश्रम और अभ्यास ही है। अतः इसलिए कहा गया है कि करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते सिल पर परत निसान॥

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