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उत्तर -


समय का हमारे जीवन से महत्त्वपूर्ण रिश्ता है। जब मनुष्य का जन्म होता है, तब से समय सदैव उसके साथ बना रहता है। अंत समय पर ही उसका समय के साथ संबंध समाप्त हो पाता है। यद्यपि मनुष्य जन्म लेते हैं और मर जाते हैं। परन्तु समय निरंतर शांत और निश्चल भाव से बिना किसी भेद-भाव के अपनी धूरी पर चलता रहता है। समय का कार्य मात्र वर्षों व दिनों को दर्शाने तक सीमित नहीं है। वह यह भी दिखाता है कि हमने अपने जीवनकाल में उसका (समय) सदुपयोग किया है या दुरुपयोग।
इस संसार में अरबों की संख्या में मनुष्य रहते हैं पर उनमें से कुछ ही समय का सदुपयोग कर उन्नति प्राप्त करते हैं। सभी मनुष्यों के लिए यह संभव नहीं होता क्योंकि वे अपने समय का मूल्य न जानकर उसका सदुपयोग नहीं कर पाते और उसका अपव्यय करते रहते हैं। वे अपने संपूर्ण जीवन में इसी दु:ख से पीड़ित रहते हैं कि उन्होंने समय पर कुछ नहीं किया। संतजनों ने सही कहा है-
''अब पछताए होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।''
यदि समय को सही तरह से व्यवस्थित किया जाए, तो अपने जीवन को एक नई दिशा दी जा सकती है। ऐसे कई उदाहरण हम स्वयं के जीवन में देख सकते हैं, जब एक क्षण की देरी से हमें कई महत्त्वपूर्ण अवसरों से हाथ धोना पड़ा हो। किसी कार्य को करने के लिए लापरवाही नहीं दिखानी चाहिए। ज़रा सी लापरवाही सारी मेहनत पर पानी फेर सकती है। इससे समय तो बर्बाद होता ही है, साथ में जो मेहनत बर्बाद होती है वो अलग।
हमें चाहिए कि हम समय का सदुपयोग करें। हर कार्य को निश्चित समय पर या पहले समाप्त करें ताकि बचें हुए समय में हम अपने अन्य कार्यों को पूरा कर सकें। तालिका बनाकर विभिन्न कार्यों को करने के लिए समय निश्चित करें और उसी कार्य-तालिका के अनुसार कार्य को कार्यन्वित करें। यदि हम समय को सम्मान देंगे, तो वह बदले में उतना ही फल देगा। हमें चाहिए कि हम अपने खाली समय का ऐसा उपयोग करें, जिससे वह बर्बाद न होकर हमारे लिए उपयोगी बन जाए। सर्वप्रथम हम ज्ञानवर्धक पुस्तकें पढ़ सकते हैं। सभाओं और विचार-गोष्ठियों में जा सकते हैं। चित्रकला, संगीत या अन्य कोई कला सीख सकते हैं। पूरक परीक्षा में भाग ले सकते हैं। बड़ों की सहायता हेतु कार्य कर सकते हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए समय की बर्बादी पर रोक। अपने जीवन में हमें समय का पाबंद बनना चाहिए।
एक विद्यार्थी के जीवन में समय का बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। एक-एक पल उसके द्वारा व्यवस्थित होना चाहिए। उसे अपने खाने-पीने, खेलने, पढ़ने, सोने आदि के लिए एक तालिका का निर्माण करना अति आवश्यक है। यदि वह अपने समय को व्यवस्थित न कर यूहीं समय बर्बाद करता रहेगा, तो कभी भी अपनी परीक्षा संबंधी तैयारी समय पर समाप्त नहीं कर पाएगा और फलस्वरुप उसे परीक्षा में असफलता हाथ लगेगी। इसी बात पर रहीम जी ने कहा है,
समय लाभ सम लाभ नहिं, समय चूक सम चूक।
चतुरन चित रहिमन लगी, समय चूक की हूक।।
अर्थात् वही लोग जीवन में उन्नति और विकास प्राप्त करते हैं, जो अपने समय का मूल्य पहचानते हैं। हमें समय की माँग के अनुसार अपने समस्त कार्यों को पूरा करना चाहिए। एक पल को भी व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। विद्यार्थी काल से ही समय की उपयोगिता पर ध्यान देकर अपने कार्यों को किया जाए, तो समय संपूर्ण जीवन में हमारे विपरीत न जाते हुए हमारे समक्ष चलने लगता है। टाटा, बिड़ला, सचिन तेंदुलकर, रोहित बहल, संजीव कपूर, धनराज पिल्लै आदि अनेक नाम हैं, जिन्होंने समय के सही उपयोग से ही सफलता अर्जित की है।
मनुष्य अपने जीवनकाल में बाल्यावस्था, युवावस्था और वृद्धावस्था तक तक की यात्रा तय करता है। ये तीनों अवस्था समय के होने व उसके व्यतीत होने का प्रमाण हैं और हमें यह याद दिलाते हैं कि समय कभी किसी के लिए नहीं ठहरता बल्कि अपनी गति से चलता रहता है। हमें इस बात को सदैव गाँठ बाँधकर कर रख लेना चाहिए कि गया हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता। यदि इस बात को स्मरण कर समय का सदुपयोग किया जाए, तो सफलता हमारे कदम चूमेगी। "समय की कद्र" यही हमारा गुरुमंत्र होना चाहिए। हमें अपने जीवन में समय के महत्व को समझते हुए, इसका उपयोग करना चाहिए।


 

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