plzzzz give me the explanation of first para of ek phool ki chah

कवि कहता है कि पूरे गाँव को महामारी ने अपनी चपेट में ले लिया है। लोग महामारी के कारण मर रहे हैं। अपनों को खोने के दुख में लोगों की आँखों से आँसू निकल रहे हैं। यह दुख लोगों को भाव-विह्वल कर रहा है। ऐसा लगता है मानों हद्य में चिताएं चल रही हों। जिन माताओं के बच्चे काल का ग्रास बन चुके हैं, उनके गले अत्यधिक रोने से क्षीण हो चुके हैं। उनका रोना इसके बाद भी शांत नहीं हुआ है। उनका शरीर कमज़ोर हो चुका है परन्तु दुख रूपी हाहाकर शांत होने का नाम नहीं ले रहा है।

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