"Pothi padhi padhi jag mua" is pankti me kavi ne kis prakar vyangy kiya h aur kyu
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
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कवि ने इस पंक्ति में समाज में व्याप्त ढोंग पर व्यंग्य किया है। लोग बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ते हैं और मानने लगते हैं कि वे ज्ञानी हो गए हैं। कवि कहता है कि ग्रंथों के पढ़ने से ज्ञान प्राप्त नहीं होता है। जो लोग यह मानते हैं, वे मूर्ख हैं। ज्ञान तो प्रेम से प्राप्त होता है।