Raheem aur kabeer ke doho mei antar spasht kijiye.
मित्र!
आपके प्रश्न के उत्तर में हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
रहीम कृष्ण की भक्ति करते थे। रहीम के दोहे नीति और भक्ति पर होते थे। रहीम के दोहों में प्रेम और श्रृंगार दोनों का अनुपम सौंदर्य देखने को मिलता है। रहीम जी की शैली बहुत सरल और सहज होती थी। रहीम के दोहों की भाषा ब्रज, खड़ी बोली और अवधी थी। कबीर अनपढ़ थे। उन्होंने खुद नहीं लिखा। उनके शिष्यों ने उनकी वाणी सुनकर लिखा। कबीर की भाषा साधुओं की भाषा थी, इसे साधुक्कड़ी भाषा भी कहते हैं। कबीर के दोहों में शिक्षा और सिद्धांत दिखाई देता है। कबीर के दोहों में दार्शनिकता और रहस्य होता था।
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रहीम कृष्ण की भक्ति करते थे। रहीम के दोहे नीति और भक्ति पर होते थे। रहीम के दोहों में प्रेम और श्रृंगार दोनों का अनुपम सौंदर्य देखने को मिलता है। रहीम जी की शैली बहुत सरल और सहज होती थी। रहीम के दोहों की भाषा ब्रज, खड़ी बोली और अवधी थी। कबीर अनपढ़ थे। उन्होंने खुद नहीं लिखा। उनके शिष्यों ने उनकी वाणी सुनकर लिखा। कबीर की भाषा साधुओं की भाषा थी, इसे साधुक्कड़ी भाषा भी कहते हैं। कबीर के दोहों में शिक्षा और सिद्धांत दिखाई देता है। कबीर के दोहों में दार्शनिकता और रहस्य होता था।