Rahim das ka Jivan parichai
मित्र हम आपको रहीमदास जी के जीवन के बारे में कुछ जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। कृपया स्वयं इसे विस्तारपूर्वक लिखने का प्रयास करें। इससे आपका लेखन कौशल बढ़ेगा।
'अब्दुल रहीम खानखाना' बाद में 'रहीम' के नाम से प्रसिद्ध हुए। ये 17 दिसंबर, 1556 को लाहौर में पैदा हुए थे। इन्होंने अनेक रचनाएँ लिखीं जिनमें इन्होंने कृष्ण की भक्ति की है। इन्होंने अनेक पौराणिक कथाओं को अपनी रचनाओं का आधार बनाया है। रहीम के दोहे इतनी सरल शैली में लिखे गए हैं कि सरलता से समझे जा सकते हैं। ब्रज, अवधी, खड़ी बोली आदि का प्रयोग इनकी रचनाओं में सुंदरता के साथ किया गया है। रहीम जी के नीति संबंधी दोहे जनसामान्य को शिक्षित करने के लिए लिखे गए हैं। रहीम दोहावली, मदनाष्टक, नायिका भेद, सवैये आदि इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। इस महान कवि ने 1627 में अपनी देह त्याग दी।
'अब्दुल रहीम खानखाना' बाद में 'रहीम' के नाम से प्रसिद्ध हुए। ये 17 दिसंबर, 1556 को लाहौर में पैदा हुए थे। इन्होंने अनेक रचनाएँ लिखीं जिनमें इन्होंने कृष्ण की भक्ति की है। इन्होंने अनेक पौराणिक कथाओं को अपनी रचनाओं का आधार बनाया है। रहीम के दोहे इतनी सरल शैली में लिखे गए हैं कि सरलता से समझे जा सकते हैं। ब्रज, अवधी, खड़ी बोली आदि का प्रयोग इनकी रचनाओं में सुंदरता के साथ किया गया है। रहीम जी के नीति संबंधी दोहे जनसामान्य को शिक्षित करने के लिए लिखे गए हैं। रहीम दोहावली, मदनाष्टक, नायिका भेद, सवैये आदि इनकी प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। इस महान कवि ने 1627 में अपनी देह त्याग दी।