Ras bataiye (X)
(X) मैं समझ्यो निरधार, यह जग काचो काँच सो।
एकै रूप अपार, प्रतिबिंबित लखियत जहाँ।

मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।

मैं समझयों निरधार, यह जग काचो काँच सो – शांत रस। 

  • 7
What are you looking for?