Rudhiya jab bandhan ban boj lagane lage toh unka tut jana hi kyo acha tha? Path ke aadhar par vistar mai samjhaye

मित्र

परंपराएँ तथा रीतियाँ मनुष्य के जीवन को सरल और सुंदर बनाने के लिए बनायी जाती हैं। परन्तु जब उनमें रूढ़ियाँ विद्यमान हो जाती हैं, तो उन्हें समाप्त कर देना चाहिए। जैसे कन्या के विवाह के समय माता-पिता अपनी खुशी से बेटी के साथ कुछ सामान व धन दिया करते थे। परन्तु धीरे-धीरे यह एक परंपरा बनी और बाद में रूढ़ी बन गई। इससे कई लड़कियों के विवाह नहीं हुए। जिनके हुए उन्हें जला कर मार दिया गया या उन लड़कियों को छोड़ दिया गया।  अतः जो रूढ़ियाँ बंधन बन जाए उनका टूट जाना ही उचित है।  ऐसे ही तताँरा और वामीरो को अपने स्थान में विद्यमान रूढ़ी के कारण अपने प्राण देने पड़े। यदि गाँववाले उनके प्रेम को स्वीकृति देकर उनका विवाह कर देते, तो उन्हें अपने प्राण देने की आवश्यकता नहीं पड़ती। अतः जो रूढ़ियाँ बंधन बन जाए उनका टूट जाना ही उचित है।  इनसे समाज का विकास नहीं होता अपितु समाज के विकास की गति रूक जाती है। ये बनाए इसलिए जाते हैं ताकि समाज को सुव्यवस्थित ढंग से चलाया जा सके। समय के साथ इनमें भी परिवर्तन होना आवश्यक है।

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