Samaas how to do?all of them easy summary?

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@Raman Pal धन्यवाद मित्र

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दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं
जैसे-‘रसोई के लिए घर’ इसे हम ‘रसोईघर’ भी कह सकते हैं

समास के भेद


समास के चार भेद हैं-
1. अव्ययीभाव समास।
2. तत्पुरुष समास।
3. द्वंद्व समास।
4. बहुव्रीहि समास।

1. अव्ययीभाव समास


जिस समास का पहला पद प्रधान हो और वह अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे-यथामति (मति के अनुसार), आमरण (मृत्यु कर) इनमें यथा और आ अव्यय हैं।
कुछ अन्य उदाहरण-
आजीवन - जीवन-भर, यथासामर्थ्य - सामर्थ्य के अनुसार
यथाशक्ति - शक्ति के अनुसार, यथाविधि विधि के अनुसार
यथाक्रम - क्रम के अनुसार, भरपेट पेट भरकर
हररोज़ - रोज़-रोज़, हाथोंहाथ - हाथ ही हाथ में
रातोंरात - रात ही रात में, प्रतिदिन - प्रत्येक दिन
बेशक - शक के बिना, निडर - डर के बिना
अव्ययीभाव समास की पहचान- इसमें समस्त पद अव्यय बन जाता है अर्थात समास होने के बाद उसका रूप कभी नहीं बदलता है। इसके साथ विभक्ति चिह्न भी नहीं लगता। जैसे-ऊपर के समस्त शब्द है।

2. तत्पुरुष समास


जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद गौण हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-तुलसीदासकृत=तुलसी द्वारा कृत (रचित)
ज्ञातव्य- विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारक वाला वह समास होता है। विभक्तियों के नाम के अनुसार इसके छह भेद हैं-
(1) कर्म तत्पुरुष गिरहकट गिरह को काटने वाला
(2) करण तत्पुरुष मनचाहा मन से चाहा
(3) संप्रदान तत्पुरुष रसोईघर रसोई के लिए घर
(4) अपादान तत्पुरुष देशनिकाला देश से निकाला
(5) संबंध तत्पुरुष गंगाजल गंगा का जल
(6) अधिकरण तत्पुरुष नगरवास नगर में वास

(क) नञ तत्पुरुष समास


जिस समास में पहला पद निषेधात्मक हो उसे नञ तत्पुरुष समास कहते हैं। जैसे-
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समास-विग्रह
असभ्य न सभ्य अनंत न अंत
अनादि न आदि असंभव न संभव

(ख) कर्मधारय समास


जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्ववद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है। जैसे-
समस्त पद समास-विग्रह समस्त पद समात विग्रह
चंद्रमुख चंद्र जैसा मुख कमलनयन कमल के समान नयन
देहलता देह रूपी लता दहीबड़ा दही में डूबा बड़ा
नीलकमल नीला कमल पीतांबर पीला अंबर (वस्त्र)
सज्जन सत् (अच्छा) जन नरसिंह नरों में सिंह के समान

(ग) द्विगु समास


जिस समास का पूर्वपद संख्यावाचक विशेषण हो उसे द्विगु समास कहते हैं। इससे समूह अथवा समाहार का बोध होता है। जैसे-
समस्त पद समात-विग्रह समस्त पद समास विग्रह
नवग्रह नौ ग्रहों का मसूह दोपहर दो पहरों का समाहार
त्रिलोक तीनों लोकों का समाहार चौमासा चार मासों का समूह
नवरात्र नौ रात्रियों का समूह शताब्दी सौ अब्दो (सालों) का समूह
अठन्नी आठ आनों का समूह
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