Samaj vyakti ke Sukh Dukh Mein Kya Bhumika Nibhata hai? kya samaj ne Bhagwana ki Budhiya Maa ke sath nyaay Kiya?

मित्र
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। उसे अपनी हर आवश्यकता की पूर्ति के लिए दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है। हम समाज में रहते हैं। लोगों से मिलकर ही समाज का निर्माण होता है। हर व्यक्ति के सुख-दुख में उसका समाज ही उसके साथ खड़ा होता है। हमारे पड़ोसी हमारी हर संभव सहायता करते हैं। वे हमारा पहला परिवार होते हैं। संकट की घड़ी में वे हमें सँभालते हैं तथा खुशी के पल हमारे साथ मिलकर बाँटते हैं किंतु समाज ने भगवाना की बुढ़िया माँ के साथ न्याय नहीं किया। समाज ने सहारा देने के स्थान पर  उसे ताने दिए। अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए उसे खरबूजे बेचने पर मजबूर होना पड़ा। समाज ने उसकी मदद नहीं की।
 

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