आज तुमने अपने घर से आते हुए बारीकी से क्या-क्या देखा-सुना? मित्रों के साथ सामूहिक चर्चा कीजिए।
रोज की तरह आज भी मैं पैदल ही अपने घर जा रही थी। विद्यालय के फाटक से बाहर निकलते ही मुझे बाहर बैठने वाले खोमचें वालों की बच्चों को अपने सामान की ओर आकर्षित करने वाली आवाज़ें सुनाईं पड़ीं। आगे बढ़ने पर रास्ते पर कार, साइकिलें, रिक्शा बस की एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ दिखाई पड़ी। उनसे बचकर जब मैं आगे मुड़कर मेरे घर की ओर जाने वाली शांत सड़क पर निकली तो मुझे सड़क के दोनों ओर लगे गुलमोहर, अशोक और आम के पेड़ों के झूमने से ठंडी हवाओं का स्पर्श महसूस हुआ। इन्हीं पेड़ों पर कुछ नन्हीं गिलहरियाँ भी रहती हैं जो सर्र से नीचे-ऊपर कर रही थी। थोड़े समय तक में इनकी इस क्रीड़ा में खो सी गई परन्तु फिर माँ का ध्यान आते ही मैं दौड़कर घर की ओर चल पड़ी।