मञ्जूषातः उचितं विलोमपदं चित्वा लिखत-
 
प्रविशति सेवकः मूर्खः नेतुम् नीचैः दुःखितः

(क) चतुरः    ....................

(ख) आनेतुम्   ....................

(ग) निर्गच्छति  ....................

(घ) स्वामी    ....................

(ङ) प्रसन्नः    ....................

(च) उच्चैः  ....................

(क) चतुरः    मूर्खः

(ख) आनेतुम्   नेतुम्

(ग) निर्गच्छति  प्रविशति

(घ) स्वामी    सेवकः

(ङ) प्रसन्नः    दुःखितः

(च) उच्चैः  नीचैः

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