sargun and nirgun ka artha spashta karte hue kabirdas, gurunanak dev, surdas and mirabai me se kon sagun aur kon nirgun sakha ka kavi or kavaitri hai?

मित्र!
सगुण भक्ति से अर्थ हैः प्रभु के अवतारों को मानना। जैसे की राजा दशरथ के पुत्र राम की भक्ति करना।
निर्गुण भक्ति से अर्थ हैः कण-कण में व्याप्त प्रभु को मानना। उसका कोई रूप नहीं है, वह जन्म नहीं लेता है। वह तो केवल ह्दय में रहता है।

सगुण भक्ति काव्य धारा के कवि कबीर एकेश्वरवाद में यकीन करते हैं।
 निर्गुण भक्ति काव्य धारा के कवि थे  तुलसीदास ,रैदास, सूरदास।

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