shukrataare je samaan summary plzzz

मित्र हमारी वेबसाइट पर इस पाठ का सारांश उपलब्ध है। आप वहाँ से इसे देख सकते हैं।

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'शुक्रतारे के समान' पाठ गांधी जी के सहायक श्री महादेव जी की जीवनी पर आधारित है। इसके लेखक स्वामी आनंद हैं। महादेव जी एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे। इन्होंने वकालत तक की शिक्षा ग्रहण की थी। सरकारी नौकरी में भी कुछ समय तक मन लगाया। परन्तु बाद में उसे भी छोड़ दिया। टैगोर जी की रचनाओं का उन्होंने हिन्दी में अनुवाद भी किया। महादेव जी के अन्दर सरलता, निष्ठा, समर्पण, सज्जनता और परिश्रम इत्यादि गुण कूट-कूटकर भरे हुए थे। इतना सब होने के बाद भी उनमें तनिक भी अभिमान नहीं था। गांधी जी के साथ और सेवा को इन्होंने अपना उद्देश्य बना लिया और स्वयं कभी विवाह नहीं किया। यह गांधी जी के साथ हर समय उपस्थित रहते थे। इनकी अकाल मृत्यु का दर्द गांधी जी के साथ सदैव रहा। इनके इन गुणों ने लेखक को उन्हें शुक्रतारे के समान चमकीला माना है, जिसकी आभा संसार को मुग्ध कर देती है। लेखक ने महादेव जी के गुणों से प्रेरित होकर इस पाठ को लिखा है। इस पाठ के माध्यम से ऐसे लोगों के योगदान को दर्शाने का प्रयास किया है, जो हमारी महान विभूतियों के पीछे खड़े होकर उन्हें संभाला करते थे। उनके गुणों का जितना भी बखान किया जाए वह कम है। 
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