Social networking vardan ya abhishaap pe nibhand

प्रिय मित्र

हम इस विषय पर आपको एक निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं। आशा करते हैं कि आप इसकी सहायता लेकर स्वयं इस विषय पर निबंध लिखने का प्रयास करेंगे-

यह इकीसवीं सदी है। यहाँ लोग स्वयं को आधुनिक कहलाना पसंद करते हैं। आधुनिक युग भी इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह प्रौद्योगिकी युग भी है। कंप्यूटर, और इंटरनेट इस युग की सबसे बड़ी उपलब्धी है। इनके कारण दूरियाँ मिट गयी है और लोग पास आ गए हैं। इसके साथ ही ऐसे भी वैबसाइटें उपलब्ध हैं, जहाँ आप अपने मित्रों तथा संबंधियों से संपर्क बनाए रख सकते हैं। इसमें फेसबुक का चलन बहुत बढ़ गया है। फेसबुक सामाजिक नेटवर्किंग साइट है। इसमें लोग अपनी जानकारियाँ सहेजकर रखते हैं और अपने मित्रों के साथ इसके माध्यम से संपर्क बनाए रखते हैं। इसमें आप अपनी फोटो सहेजकर रख सकते हैं, अपने मित्रों के साथ बातचीत कर सकते हैं और संदेशों का आदान-प्रदान भी कर सकते हैं। इस साइट में काम करना सरल है। यही कारण है कि आज यह हर देश के नागरिक की पहली पसंद है। फेसबुक एक नौजवान युवक द्वारा बनाई गई थी। परन्तु उसने भी यह अंदाज़ा नहीं लगाया होगा कि यह इतनी लोकप्रिय हो जाएगी कि पूरे विश्व के लोगों द्वारा इसे अपना लिया जाएगा।

कई बार यह प्रश्न उठता है कि क्या कारण है कि लोगों के मध्य यह लोकप्रिय है? तो उत्तर है- इस साइट की पहुँच पूरे विश्व में है, यही कारण है कि लोग अपने पुराने मित्रों को बड़ी सरलता से ढूँढ पाते हैं। इसकी कार्यप्रणाली जटिल नहीं है। हर वर्ग इसमें कार्य कर सकता है। लोग एक दूसरे के संपर्क में रहना चाहते हैं। ये साइट ऐसी है, जहाँ बिना परिश्रम किए लोग अपने से संपर्क साधे रहते हैं। उनके विषय में जानकारियाँ उन्हें समय-समय पर मिलती रहती है। इसलिए यह परिवारों, माता-पिता, युवाओं आदि कि पहली पसंद है।

इसकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से है कि इसके आविष्कारक आज विश्व के सबसे धनवान और सफलतम लोगों की श्रेणी में आते हैं। फेसबुक एक लत के समान लोगों के जीवन में विद्यमान हो गया है। जैसे लोग शराब-सिगरेट के आदी होते हैं, वैसे ही लोग फेसबुक के इतने आदी हैं कि इसमें समय बिताए बिना दिन पूरा नहीं मानते हैं। कई लोग तो रात-रात फेसबुक साइट देखने में बिता देते हैं। बच्चों पर तो इसका नशा जैसे सर चढ़कर बोल रहा है। वे जब समय मिलता है, फेसबुक पर बैठे दिखाई दे जाते हैं। चूंकि मोबाइल कंपनियों ने भी अपने फोनों पर इस सुविधा को उपलब्ध करवा दिया है, तो बच्चों का इसे इस्तेमाल करना और भी सरल हो गया है। वह अपना अधिकत्र समय इस पर बिताते हैं। परिणाम खेलकूद उनके जीवन से बाहर होता जा रहा है। इससे बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। फेसबुक में बैठे रहने के कारण वह पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते हैं। इस तरह उनका जीवन दिशाहीन हो रहा है।
सादर

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