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खंड 'क'
1. निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
कभी-कभी अचानक की विधाता हमें ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व से मिला देता है, जिसे देखकर स्वयं अपने जीवन की रिक्तता बहुत छोटी लगने लगती है। हमें तब लगता है कि भले ही उस अंतर्यामी ने हमें जीवन में कभी अकस्मात अकारण ही दंडित कर दिया हो, किंतु हमारे किसी अंग को हमसे अलग करके हमें उससे वंचित तो नहीं किया। फिर भी हममें से कौन ऐसा मानव है जो अपनी विपत्ति के कठिन क्षणों में विधाता को दोषी नहीं ठहराता। मैंने अभी पिछले ही महीने एक ऐसी अभिशप्त काया देखी है, जिसे विधाता ने कठोरतम दंड दिया है, किन्तु उसे वह नतमस्तक आनन्दित मुद्रा में झेल रही है, विधाता को कोसकर नहीं।
(1) हमें अपने जीवन की रिक्तता कब छोटी लगने लगती है?
(क) दूसरों की छोटी रिक्तता देखकर
(ख) दूसरों की बढ़ी रिक्तता देखकर
(ग) अपनी किस्मत को सोचकर
(घ) ईश्वर को याद करके

(2) मनुष्य अपने जीवन में अकस्मात अकारण दण्डित होने का दोष किसे देता है?
(क) दुसरे मनुष्य को
(ख) माता–पिता को
(ग) ईश्वर को
(घ) इनमें से कोई नहीं

(3) लेखक ने पिछले महीने जो काया देखी थी, उसे अभिशप्त क्यों कहा?
(क) उसकी सुंदरता देखकर
(ख) अनजाने में शाप से ग्रस्त होने के कारण
(ग) वरदान पाने के कारण
(घ) शारीरिक विकलांगता के कारण
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